पेरिस समझौते से अमेरिका क्यों हुआ बाहर
सुर्ख़ियों में क्यों है यह पेरिस समझौता
- अमेरिका द्वारा पेरिस समझौते से हटने की अभी हाल ही में घोषणा की गई.
- अमेरिका फर्स्ट के चुनावी वादे को बहाना बनाकर अमेरिका द्वारा उठाया गया कदम.
क्या है पेरिस समझौता
- UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change) फ्रेमवर्क के तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कारगर है यह पेरिस समझौता.
- अलग-अलग देशों के मध्य हुआ है यह समझौता.
- पेरिस समझौते के सीईओपी-21 बैठक में कार्बन उत्सर्जन कटौती पर सहमति बनी है. (Conference of the Parties (COP).
- विकासशील देशों के लिए आर्थिक सहायता और हरित क्रांति और रियायतों के प्रावधान पर हुई थी चर्चा.
- क्योटो प्रोटोकॉल जिसकी विस्तारित अवधि 2020 है की जगह लेगा यह पेरिस समझौता.
पेरिस समझौते का मकसद
- वैश्विक औसत तापमान मे हो रही निरंतर वृद्धि को इस सदी में पूर्व औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना और तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना समझौते का प्रमुख मकसद है.
- 2025 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 25 से 28 वर्ष तक की कटौती का लक्ष्य रखा गया है.
पेरिस समझौते से बाहर क्यों हुआ अमेरिका
- अमेरिका ने कहा कि इस समझौते से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
- पेपर, सीमेंट, स्टील, कोयला और प्राकृतिक गैस जैसे क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव का दावा करता है अमेरिका.
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह समझौता अमेरिका के साथ भेदभाव वाला है.
- भारत, चीन जैसे प्रदूषणकर्ता देशों के साथ सख्ती नहीं करने का आरोप लगाया गया अमेरिका द्वारा.
- अमेरिका के प्रति न्यायसंगत रवैया नहीं बरतने को अमेरिका ने बताया प्रमुख कारण.
अमेरिका के बाहर होने से क्या पड़ेगा प्रभाव
- अमेरिका विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन करने वाला देश है.
- अमेरिका के बाहर होने से पेरिस समझौते में रखे गए लक्ष्य को प्राप्त करने में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
- अमेरिका की तर्ज पर कई और दूसरे देश भी ऐसा करने को सोच सकते हैं.
- चीन का प्रभाव बढ़ने की संभावना है, क्योंकि चीन संभवता नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाना चाहेगा.
- पेरिस समझौते की सहमति पर ग्रहण लगने का भी खतरा बन गया है.
आगे क्या होना चाहियें
- अलग-अलग देशों को एकजुट होकर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए करना होगा भरपूर प्रयास.
- भारत को सभी देशों का नेतृत्वकर्ता देश बनकर उभरने की जरूरत है.
- सभी साझेदार देशों के सामने खुद को साबित करने का एक अच्छा मौका है.
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