सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching)

शिक्षण कौशल को सीमित समय एवं आकार में सीखना सूक्ष्म शिक्षण है।
सूक्ष्म-शिक्षण से तात्पर्य है- शिक्षण का लघु रूप
अर्थात् सूक्ष्म-शिक्षण- शिक्षण की जटिल प्रक्रिया को सरलतम ढंग से छोटे-छोटे सोपानों में प्रशिक्षुओं के सामने प्रस्तुत करने की एक रूचिपूर्ण प्रक्रिया है।

ए़0डब्लू0 एलेन को सूक्ष्म-शिक्षण का जन्मदाता माना जाता है। भारत में ‘सेंट्रल पैडागाॅजिकल इन्स्टीट्यूट‘ के प्रोफेसर डाॅ डी0डी0 तिवारी ने इस विधि का प्रयोग किया।

इस प्रकार, 1970 में मैक एलिज तथा अरविन ने सूक्ष्म-शिक्षण की व्याख्या की है.

परिभाषा

एलेन ने अपनी पुस्तक ‘माइक्रोटीचिंग‘ में लिखा है-

‘‘ सूक्ष्म शिक्षण सभी प्रकार की शिक्षण संबंधी क्रियाओं को छोटे-छोटे भागों में विभक्त करना है।’’

बी0के0 पासी के अनुसार-

“सूक्ष्म शिक्षण एक प्रशिक्षण की तकनीकि हैं, जिसमें छात्राध्यापक किसी एक शिक्षण कौशल का प्रयोग करते हुये लघु अवधि में छोटे समूह को कोई एक संप्रत्यय पढ़ाता है ।”

आर0एल0 ग्रूस  के अनुसार –

“सूक्ष्म शिक्षण शिक्षण-प्रशिक्षण की एक  प्रविधि है जिसमे शिक्षक स्पष्ट रूप से परिभाषित शिक्षण-कौशलों का प्रयोग करते हुए पाठ -तैयार करता है. नियोजित पाठो के आधार पर 5-10 मिनट तक वास्तविक छात्रों के छोटे समूहों के साथ अंतःक्रिया करता है, जिसके परिणामस्वरूप वीडियो टेप पर प्रशिक्षण  प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करता है.”

पर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सूक्ष्म-शिक्षण सीखाने की छोटी प्रक्रिया हैं, जिसमें कक्षा का आकार छोटा करके सीमित विषय-वस्तु को अच्छे तरीके से कम समय में सिखाया जाता है।

 

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