शिक्षण (Teaching)
Teaching शिक्षण एक सामाजिक व मानवीय प्रक्रिया है जो बालक के जन्म से प्रारम्भ होकर जीवन के अंतिम क्षणो तक निरंतर चलती रहती है. इसका प्रभाव मनुष्य के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ता है.
शिक्षण का अर्थ है – सीखने में सहायता करना.
अर्थात् शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसे शिक्षक योजनाबद्ध तरीके से शिक्षार्थियो को ज्ञान प्रदान करने, उनमे कौशलों का विकास करने तथा अनुदेशन देकर उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए नियोजित व संचालित करता है.
कहने का तात्पर्य है की शिक्षण बाल-केन्द्रित होता है. जैसा की रूसो महोदय कहते है कि-
“बालक एक ऐसी पुस्तक है, जिसे शिक्षक को प्रारम्भ से अंत तक पढ़ना पड़ता है.”
कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ :
बी. ओ. स्मिथ के अनुसार-
“अधिगम को अभिप्रेरित करने वाली क्रिया शिक्षण है.”
डिक्शनरी ऑफ़ साइकोलॉजी एंड साइकोएनालिटिकल टर्म के अनुसार-
“दूसरे को सीखने में मदद करने की प्रक्रिया को शिक्षण कहते है.”
बर्टन के अनुसार-
“शिक्षण अधिगम हेतु प्रेरणा, पथ-प्रदर्शक और प्रोत्साहनहै.”
एच. सी. मौरीसन के अनुसार-
“शिक्षण एक अधिक परिपक्व व्यक्तित्व और कम परिपक्व व्यक्तित्व के मध्य घनिष्ट सम्बन्ध है.”
उपुक्त परिभाषाओ के आधार पर कहा जा सकता है कि-
शिक्षण क्रियाओ का प्रमुख लक्छ्य छात्रों को विषय-वस्तु की जानकारी प्रदान करना या सिखाना है, जिसका स्वरुप विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न हो सकता है. अतः शिक्षण एक सोउद्देश्य प्रक्रिया है जो सामाजिक वातावरण में सम्पन्न होती है.
इसे भी पढ़े: अधिगम की प्रकृति, सूक्ष्म-शिक्षण चक्र (Micro Teaching Cycle), सूक्ष्म-शिक्षण (Micro Teaching)