सूक्ष्म शिक्षण चक्र (Micro Teaching Cycle)

“भारतीय प्रतिमान में सूक्ष्म शिक्षण चक्र की अवधि या प्रक्रिया 36 मिनट की होती है।”

इसका समय विभाजन इस प्रकार हैं-

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1. प्रस्तावना- सूक्ष्म शिक्षण प्रक्रिया प्रारम्भ करने से पूर्व शिक्षक द्वारा छात्राध्यापक के समक्ष सूक्ष्म शिक्षण का अर्थ, विशेषताए व विधियाॅ आदि के बारे में बताया जाता है।
2. सूक्ष्म शिक्षण का पाठ निर्माण-शिक्षक द्वारा छात्राध्यापकों को एक छोटी इकाई एवं एक शिक्षण कौशल पर आधारित सूक्ष्म पाठ-योजना बनाने की विधि बताई जाती है ।
3. शिक्षण अवस्था– छात्राध्यापकों द्वारा पाठ-योजना के आधार पर 6 मिनट तक 5 से 10 छात्रों की कक्षा को पढ़ाया जाता है।
4. प्रतिपुष्टि- प्रत्येक छात्राध्यापक को शिक्षण के उपरांत प्रतिपुश्टि शिक्षक व सह-छात्राध्यापकों द्वारा प्रदान की जाती है।
5. पुनः पाठ योजना- प्रतिपुष्टि के आधार सुझावों को ध्यान में रखते हुए छात्राध्यापक पुनः पाठ योजना तैयार करता है।
6. पुनः शिक्षण- पुनः बनाई गई पाठ-योजना के आधार पर छात्राध्यापक पुनः शिक्षण प्रस्तुत करता है।
7. पुनः प्रतिपुष्टि- छात्राध्यापक को शिक्षक व सह-छात्राध्यापकों द्वारा पुनः प्रतिपुष्टि प्रदान की जाती है।

इस प्रकार,

    शिक्षण-कौशलों में दक्षता प्रदान करने के लिए सूक्ष्म शिक्षण चक्र विधि अत्यन्त प्रभावशाली है।

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