शिक्षण सूत्र {Maxims of Teaching}

शिक्षण के क्षेत्र में समय-समय पर विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों ने अपने खोजों व अनुभवों के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण सूत्रों का निर्माण किया, जिसे शिक्षण सूत्र कहा जाता है। इनका प्रयोग शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को और अधिक प्रभावषाली बनाने के लिए किया जाता है।

प्रमुख शिक्षण सूत्र निम्नलिखित है:

1. ज्ञात से अज्ञात की ओर (From Known to Unknown)- इसमें छात्रों के पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान से जोड़ा जाता है।

2. विशिष्ट से सामान्य की ओर(From specific to General)- छात्र को पहले विशिष्ट बातों (मसलन पहले उदाहरण देकर) की ओर आकर्षित करें, तदुपरान्त सामान्यीकरण की ओर ले जायें। यह शिक्षण-सूत्र ‘आगमन विधि’ पर आधारित है।

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3. प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष की ओर(From Direct to Indirect)- बालक जिन वस्तुओं को प्रत्यक्ष रूप से देखता है, उन्हें सरलतापूर्वक सीख जाता है. अतः शिक्षक को सर्वप्रथम छात्रों को प्रत्यक्ष रूप से ज्ञान देना चाहिए फिर धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप प्रस्तुत करना चाहिए.

 

4. अनिश्चित से निश्चित की ओर(From Indefinite to Definite)- जिस प्रकार एक अविष्कारक अनिश्चित तथ्यों से निश्चित तथ्यों की प्राप्ति करता है.

5. स्थूल से सूक्ष्म की ओर( From concrete to Obstract)- इसे मूर्त से अमूर्त की ओर भी कहते है. पहले छात्रों को वस्तुओ का ज्ञान स्थूल रूप में फिर सूक्ष्म की ओर ले जाया जाता है.

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6. पूर्ण से अंश की ओर(From whole to Part)- यह शिक्षण-सूत्र ‘गेस्टाल्ट सिद्धांत’ पर आधारित है. मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो प्रत्यक्षीकरण(observation) की प्रक्रिया पहले पूर्ण फिर उसके अंश की ओर ही होती है.

7. विश्लेषण से संश्लेषण की ओर(From Analysis to Synthesis)-  छात्रों को विश्लेषण द्वारा सम्पूर्ण बातों को  पहले छोटे-छोटे भागों में फिर संश्लेषण द्वारा उसका संपूर्णता में अध्ययन कराया जाता है.

8. इंद्रियों का प्रशिक्षण

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