आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करेंगे रूस, भारत और चीन
भारत, रूस, चीन ने आतंकवाद के खिलाफ को वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है तीनो देशो के विदेश मंत्रियों की यहां हुई बैठक में आतंकवाद का मुद्दा छाया रहा हालांकि बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में किसी अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन का नाम नहीं दिया गया लेकिन अपने भाषण में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में पनाह पाए आतंकी संगठनों का नाम लेकर साफ कर दिया कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत की प्राथमिकता क्या होगी.
राजधानी में, दुनिया की तीन सुपर शक्तियों, भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की एक बैठक हुई, जिसमें वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद के खिलाफ एक वैश्विक नीति बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए संयुक्त राष्ट्र में संयुक्त वक्तव्य में सुधार, अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग, अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया, साथ ही साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर साहस दिखाया.
सुषमा ने व्यापक नीति बनाने का प्रस्ताव रखा
नई दिल्ली में रूस के विदेश मंत्री चीन के विदेश मंत्री और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ हुई बैठक तकरीबन ढाई घंटे तक चली इस बैठक में हम बात यह रही कि भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिखाया कि वह अपनी विदेश नीति स्वतंत्र है तीनों देशों की तरफ से जारी एक संयुक्त बयान में भारतीय कूटनीति की यह सोच दिखती है वहां गुटबाजी के पक्ष में नहीं है.
अमेरिका के साथ गहराते संबंधों के साथ ही हाल के दिनों में भारत ने जिसे तराह जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ एक चौतरफा गठबंधन आने का प्रयास किया है. उससे भारत की स्वतंत्र विदेशी नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन अमेरिका के दो विरोधी देश चीन और रूस के साथ सालाना बैठक आयोजित कर भारत ने कूटनीतिक स्तर पर अपना संदेश दे दिया है. तीनो देशो ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत संबंध बनाने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कारोबार में भी अपने रिश्तो को बहुत महत्वपूर्ण बनाया है.
आतंकवाद
जहां तक आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की बात है तो सुषमा स्वराज ने भारत के तरफ से आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाने का प्रस्ताव रखा चीन और रूस का रुख बेहद सकारात्मक रहा है उन्होंने हर मंच पर भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ काम करने की बात कही है.