आर्थिक सर्वेक्षण सरकार की विकास की प्रतिबद्धता को प्रतिबिम्बित करता हैः प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डा. बिबेक देबरॉय

Economic Survey 2017-18 Special
Economic Survey 2017-18 Special

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष डा. बिबेक देबरॉय ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण सरकार की विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण को प्रमुखता देना एक स्वागत योग्य कदम है।

आर्थिक सर्वेक्षण ने 2018-19 के लिए पूरे वर्ष वास्तविक जीडीपी विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान किया है, जो साल की दूसरी छमाही में 7.5 प्रतिशत के वास्तविक विकास दर पर आधारित है। 2018-19 के लिए सर्वेक्षण ने वास्तविक जीडीपी विकास दर 7-7.5 के बीच रहने का अनुमान लगाया है। सरकार द्वारा संरचनात्मक सुधारों जैसे जीएसटी, बैंकों को अतिरिक्त पूँजी देना, नियमों को उदार बनाने के उपाय तथा आईबीसी प्रक्रिया के माध्यम से समाधान आदि के आधार पर सर्वेक्षण ने आशावादी दृष्टिकोण अपनाया है।

2018-19 में जीडीपी विकास दर 7.5% का अनुमान

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष ने सर्वेक्षण में रेखांकित किए गए विकास में वृद्धि पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि 2018-19 के लिए वास्तविक जीडीपी विकास दर 7 प्रतिशत के बजाय 7.5 प्रतिशत के नजदीक रहने की संभावना है। आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में सरकार वित्तीय सशक्तिकरण तथा कुशल सार्वजनिक व्यय के लिए प्रतिबद्ध है। यदि सार्वजनिक व्यय के लिए गैर-बजटीय स्रोतों से धनराशि उपलब्ध होती है तो यह बेहतर होगा। सर्वेक्षण में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि निर्यात, निजी निवेश और खपत ही विकास को गति प्रदान करेंगे। सर्वेक्षण में निर्यात और निजी निवेश में बढोत्तरी की संभावना व्यक्त की गई है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में जोर दिया गया है कि विमुद्रीकरण केवल एक मामूली व्‍यवधान था जिसका प्रभाव 2017 के मध्‍य से आगे नहीं पड़ा। इस पहलू पर जोर देना आवश्‍यक था क्‍योंकि जीडीपी विकास दर पर विमुद्रीकरण के प्रभाव को लेकर कई प्रकार के सामान्‍य वक्‍तव्‍य दिए गए हैं। विमुद्रीकरण एवं जीएसटी का एक उद्वेश्‍य करदाता आधार को बढ़ाना था। सर्वेक्षण में यह प्रदर्शित करने के लिए संख्‍याएं दी गई हैं कि इन नीतिगत कदमों के फलस्‍वरुप करदाताओं की संख्‍या में वास्‍तव में बढ़ोतरी हुई है, हालांकि इनमें से कई करदाताओं ने ऐसी आय घोषित की है जो न्‍यूनतम सीमा स्‍तर के करीब है।

रोजगार बड़ी समस्या वर्तमान की 

विश्‍वसनीय आंकड़ों की कमी के बावजूद रोजगार वृद्धि को लेकर काफी बहस होती रही है। सर्वेक्षण में विशिष्‍ट संख्‍याएं दी गई हैं जो प्रदर्शित करती हैं कि औपचारिक क्षेत्र रोजगार उस सीमा से कहीं अधिक है जिसका आम तौर पर संकेत ‍दिया जाता है। सर्वेक्षण में कम हो रहे जोखिमों एवं बढ़ रहे लाभों की सूची दी गई है जो 2018-19 में विकास को प्रभावित करेंगे। कम होते जोखिमों के बीच, सबसे महत्‍वपूर्ण जोखिम कच्‍चे तेल की कीमतें हैं। ईएसी-पीएम का मानना है आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 कि कच्‍चे तेल की कीमतों में किसी भी वृद्धि के प्रभाव की क्षतिपूर्ति निर्यात में प्रतिलाभ, निजी निवेशों एवं यहां तक कि निजी उपभोग के द्वारा हो जाएगी, जब तक कि वास्‍तविक ब्‍याज दरें बहुत ऊंची बनी हुई न रहें।

स्त्रोत: Press Information Bureau of India